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रोजे के फजाइल part2

जब तक लोग इफ्तार में जल्दी करेंगे उस वक्त तक खैर व भलाई पर रहेंगे। (लुलुवल मर्जान-667 सहल बिन सअद रजि.)
ताजा खजूर, छुवारा या पानी से रोजा इफ्तार करना मसनून है। (तिर्मिजी-अबु दाऊद-2356 अनस रजि.)
नमक से रोजा इफ्तार करना सुन्नत से साबित नहीं।
रोजे के इफ्तार पर यह दुआ पढ़ना साबित है। “जहब्बज़्जमउ वन्तलल्तिल उरूक व सब तल अज्रू इन्शा अल्लाह” यानि “प्यास खत्म हो गई, रगें तर हो गई और रोजे का सवाब इन्शा अल्लाह पक्का हो गया। (अबू दाऊद-2357-इब्ने उमर रजि.)
नोट: इफ्तार के वक्त यह दुआ “अल्लाहुम्मा लका सुन्तु (व बिका आमनतु व इलैका तवक्कलत) व अला रिज्किका अफतरतु” (अबुदाऊद-2358) ना पढ़ना बेहतर है। इसलिए के ये अलफाज हदीसे रसूल सल्ल. में ज़्यादती है। और बाकी हदीस भी सनदन जईफ है।
जिसने रोजेदार का रोजा इफ्तार करवाया उसे भी उतना ही सवाब मिलेगा जितना सवाब रोजेदार के लिए होगा और रोजेदार के सवाब (अज्र) से कोई चीज़ कम ना होगी। (इब्ने माजा-1746 तिर्मिजी-700 जेद बिन खालिद रजि.)


7. रोजे की रुख्सत (छूट) के मसाइल
सफर में रोजा रखना और छोड़ना दोनो जाइज है। (लुलुवल मर्जान-684 आयशा रजि.)
नबी सल्ल. के साथ सफर में कुछ सहाबा ने (रमजान का) रोजा रखा और कुछ ने नहीं रखा और किसी ने किसी पर ऐतराज नहीं किया (मुस्लिम-1923 अबु सईद खुदरी रजि.)
मुसाफिर को रोजा बाद में रखने और आधी नमाज़ की छूट है। और हामिला और दूध पिलाने वाली औरत को भी रोजा बाद में रखने की रूख्सत है। (अबुदाऊद-2408 इब्ने माज़ा-1667 अनस कअबी रजि.)
सफर या जिहाद में रोजा तर्क किया जा सकता है और अगर रखा हो तो तोड़ा जा सकता है। उसकी सिर्फ कजा होगी, कफ्फारा नहीं। रमजान के महीने में एक सफर के दौरान आप सल्ल. ने रोजा तोड़ दिया और लोगो (सहाबा) ने भी तोड़ दिया। (लुलु वल मर्जान-680 इब्ने अब्बास रजि. मुसिलम-1913)
बुढापा या ऐसी बीमारी जिसके खत्म होने की उम्मीद ना हो, कि वजह से रोजा रखने के बजाय फिदया दिया जा सकता है। एक रोजे का फिदया एक मिस्कीन को 2 वक्त का खाना खिलाना है और उस पर कोई कजा नहीं। (मुसतदरक हाकिम, दार कत्नी इबने अब्बास रजि)
बीमारी, सफर, बुढ़ापा, जिहाद और औरत के मामले में हमल और दूध पिलाने के दिनों में अगर कोई रोजा रख ले ओर रोजा पूरा ना कर सके या तोड़ ले तो ऐसी सूरत में सिर्फ कजा होगी। (लुलु वल मर्जान-682 नसाई-23 19 अनस बिन मालिक रजि.


8. कज़ा राज़ों के मसाइल 
रमजान के रोजों की कजा आइन्दा रमजान से पहले किसी वक्त भी अदा की जा सकती है। (लुलु वल मर्जान-70 3 आयशा रजि.)
फर्ज रोजों की कजा अलग-अलग या लगातार दोनों तरह जाइज है। (दार कत्नी-आयशा रजि.)
मरने वाले के कजा रोजे उसके वारिस को रखना चाहिये। (लुलु वल मर्जान-704 मुस्लिम 1987 आयशा रजि.)
नफली रोजे की कजा अदा करना वाजिब नहीं। (अबु दाऊद-2456 उम्मे हानी रजि.)
अगर किसी ने बादल की वजह से रोजा वक्त से पहले इफ्तार कर लिया लेकिन बाद में मालूम हुवा कि सूरज गुरूब नहीं हुआ था तो कजा वाजिब होगी। इसी तरह सहरी खाई और बाद में यकीन हो गया कि सुबह सादिक हो चुकी थी। ऐसी हालत में भी कजा वाजिब होगी, कफ्फारा नहीं। (बुखारी-1959 इबने माजा-1674 अस्मा बिन्ते अबु बकर रजि.)


9. वह बाते जिन से रोज़ा मकरूह नहीं होता 
भूल-चूक से खा-पी-लेने से। (बुखारी-1933, मुस्लिम 2006 अबु दाऊद-2398, अबु हुरैरा रजि.)
मिसवाक करने से। (इब्ने माजा-1677 अबुदाऊद-2364 आयशा रजि.)
गर्मी की शिद्दत में सर पर पानी बहाने (नहाने) से। (अबु दाऊद-2365, बुखारी, जिल्द 3 सफा 1 89 इब्ने उमर रजि.)
मजी खारिज होने या एहतेलाम होने से। (अबु दाऊद-2376 इब्ने अब्बास रजि. तिर्मिजी-618 अबु सईद रजि.)
सर में तेल डालने, कंघी करने या आंखों में सुरमा लगाने से। (इब्ने माजा-1678-आईशा रजि., तिर्मिजी-624-अनस रजि.)
हंडिया का जायेका चखने से। (बुखारी-जिल्द 3 सफा-189, इब्ने अब्बास रजि.)
मक्खी हलक में चले जाने या उसे बाहर निकालने से। (बुखारी-जिल्द 3 सफा-191, हसन बिन अली रजि.)
थूक निगलने से। (अबुदाऊद-2386 आईशा रजि.)
नाक में दवा डालने से। (बुखारी-जिल्द 3 सफा-192-हसन रजि.)
अगर किसी पर गुसल फर्ज हो तो वह सहरी खा कर नमाजे फज़र से पहले गुसल कर सकता है। (लुलु वल मर्जान-677, अबुदाऊद-2388-आईशा रजि.)
बीवी का बोसा लेने से। (बशर्ते कि जजबात पर काबू हो) (लुलु वल मर्जान-676, अबुदाऊद-2382, तिर्मिज़ी-625-आईशा रजि.)
खुद ब खुद कय (उलटी) आने से (तिर्मिज़ी-618-अबु सईद खुदरी रजि.)


10. वह बातें जो रोजे की हालत में मना हैं। 
गीबत करना, झूट बोलना, गाली देना और लड़ाई-झगड़ा करना। (बुखारी-1903, अबुदाऊद-2362-अबु हुरैरा रजि.)
बेहुदा, फहश और जहालत के काम या बातें करना। (लुलु वल मर्जान-706, अबुदाऊद-2363-अबु हुरैरा रजि.)
(जो अपनी शहवत पर काबू न रख पाता हो, उसके लिए) बीवी से बगलगीर होना या बोसा लेना। (बुखारी-1927-आईशा रजि., अबुदाऊद-2387-अबु हुरैरा रजि.)
कुल्ली करते वक्त नाक म

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