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Hajarat Ali ki paidaish

इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर हजरत मुहम्मद के साथ साथ उनका पूरा परिवार नेक दिली के लिए जाना जाता है। पैगम्बर हजरत मुहम्मद के परिवार का अहम हिस्सा उनके दामाद हजरत अली भी दरियादिली और मोटिवेशनल बातों के लिए जाने जाते हैं। आज उनकी जयंती (जन्म दिवस) के मौके पर पेश हैं उनके मोटिवेशनल Quotes।  कौन थे हजरत अली हजरत मुहम्मद की मृत्यु के बाद जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा (नेता) चुना वो लोग शिया कहलाते हैं।  हज़रत अली, जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे, वही हजरत मुहम्मद के उत्तराधिकारी थे।  सुन्नी विचारधारा के मुताबिक, हज़रत अली से पहले तीन खलीफ़ा ( हज़रत अबु बक़र, हज़रत उमर, हज़रत उस्मान) हज़रत अली चौथे खलीफा हैं। सुन्नी मुस्लिम अली को (चौथा) ख़लीफ़ा मानते है। 'हजरत अली' के ये Quotes हैं मोटिवेशनल 1. भाई सोना है दोस्त हीरा, सोने में दरार आने पर उसे पिघला कर पहले जैसा बनाया जा सकता है, हीरे  में एक भी दरार आ जाए तो वो कभी पहले जैसा नही बन सकता- हज़रत अली 2. नेक लोगों की सोहबत से हमेशा भलाई ही मिलती हे क्यों के.....
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किसीकी जायदाद दबा लेना

Kisi ki jaaidaad daba lena  ✺ Hazrat Saeed bin Zaid (Raziyallahu 'Anhu) kehte hain ke Rasoolullah ﷺ ne irshaad farmaaya: Jis shakhs ne baalisht bhar zameen ka koi hissa zulm ke taur par daba liya, to qayaamat ke din us ke gale mein 7 zameenon ka tauq daala jaayega. (Bukhari: 3198) ✺ Hazarat Abdullah Bin Umar (Radiyallahu Anhu) riwayat karte hain ke Nabi kareem (Sallallahu-Alaihi-Wa-Sallam) ne irshaad farmaya: Jis shakhs ne thodi si zameen bhi nahaq leli qayamat ke din wo iski wajha se saat zameenon tak dhansa diya jayega. (Bukhari: 2454) Bahot se log apni taaqat aur chaalaaki ke bal boote par doosron ka maal hadap kar lete hain aur is ko apna bahot bada kamaal samajhte hain, khaas taur par ladkiyon ko maale wiraasat mein se hissa nahin dete, yeh sab cheezein is hadees ke hukm mein daakhil hain aur sab ko yeh azaab milne waala hai.

नबी करीम ‎ﷺ ‏जब आसमान के गोशे से बदली उठते देखते तो काम ‎( ‏धाम ‎) ‏सब छोड़ देते यहां तक कि नमाज़ में होते तो उसे भी छोड़ देते, ‏और यूं दुआ फ़रमाते: ‏

🌺नबी करीम ﷺ जब आसमान के गोशे से बदली उठते देखते तो काम ( धाम ) सब छोड़ देते यहां तक कि नमाज़ में होते तो उसे भी छोड़ देते, और यूं दुआ फ़रमाते:  अल्लाहुम्मा इन्नी आउज़ुबिका मिन शर्रीहा ए अल्लाह! मैं इसके शर से तेरी पनाह मांगता हूँ ... फिर अगर बारिश होने लगती,तो आप फ़रमाते:  अल्लाहुम्मा सय्यीबन हनिअन  ए अल्लाह! इस बारिश को ज़ोरदार और ख़ुशगवार और बाबरकत बना।..

रोजे के फजाइल part2

जब तक लोग इफ्तार में जल्दी करेंगे उस वक्त तक खैर व भलाई पर रहेंगे। (लुलुवल मर्जान-667 सहल बिन सअद रजि.) ताजा खजूर, छुवारा या पानी से रोजा इफ्तार करना मसनून है। (तिर्मिजी-अबु दाऊद-2356 अनस रजि.) नमक से रोजा इफ्तार करना सुन्नत से साबित नहीं। रोजे के इफ्तार पर यह दुआ पढ़ना साबित है। “जहब्बज़्जमउ वन्तलल्तिल उरूक व सब तल अज्रू इन्शा अल्लाह” यानि “प्यास खत्म हो गई, रगें तर हो गई और रोजे का सवाब इन्शा अल्लाह पक्का हो गया। (अबू दाऊद-2357-इब्ने उमर रजि.) नोट: इफ्तार के वक्त यह दुआ “अल्लाहुम्मा लका सुन्तु (व बिका आमनतु व इलैका तवक्कलत) व अला रिज्किका अफतरतु” (अबुदाऊद-2358) ना पढ़ना बेहतर है। इसलिए के ये अलफाज हदीसे रसूल सल्ल. में ज़्यादती है। और बाकी हदीस भी सनदन जईफ है। जिसने रोजेदार का रोजा इफ्तार करवाया उसे भी उतना ही सवाब मिलेगा जितना सवाब रोजेदार के लिए होगा और रोजेदार के सवाब (अज्र) से कोई चीज़ कम ना होगी। (इब्ने माजा-1746 तिर्मिजी-700 जेद बिन खालिद रजि.) 7. रोजे की रुख्सत (छूट) के मसाइल सफर में रोजा रखना और छोड़ना दोनो जाइज है। (लुलुवल मर्जान-684 आयशा रजि.) नबी सल्ल. के साथ सफर में कुछ सह...

रोजे की फजीलत

2 रोजे की  फजीलत जब रमजान आता हे तो आसमान के दरवाजे खोल दिये जाते है, जहन्नम के दरवाजे बन्द कर दिये जाते है ओर शयातीन जन्जीरो से जकड़ दिये जाते है। (लुलु वर मरजान-65 2, अबु हुरैरा रजि.) रमजान मे उमरा करने से हज का सवाब मिलता है। (मुस्लिम-225 5-56 इब्ने अब्बास रजि.) रमज़ान में सवाब की नीयत से रोजा रखने ओर कयाम करने वाले के गुजरे सब गुनाह माफ कर दिये जाते है। (बुखारी-1901, इब्ने माजा-1641 अबु हुरेरा रजि.) रोज़ा कयामत के दिन रोजेदार की सिफारिश करेगा । (मुसनद अहमद, तबरानी, इबने अम्र बिन आस रजि.) (क) रोजे का अज्र (बदला) बे हिसाब है। (ख) रोजेदार की मुंह की बू कयामत के दिन अल्लाह तआला को मुश्क की खुशबू से भी ज्यादा पसंद होगी। (बुखारी-1894 मुस्लिम-1997-98 अबु हुरैरा रजि.) ‘जन्नत में रयान‘ नाम का एक दरवाज़ा है। कयामत के दिन उस दरवाजे से सिर्फ रोजेदार जन्नत में दाखिल होगे। (मुस्लिम, बुखारी-1896, इब्ने माजा-1640, सहल बिन सअद रजि.) रमजान का पूरा महीना अल्लाह तआला हर रात में लोगों को जहन्नम से आजाद करता है। (इब्ने माजा-1642 अबु हुरेरा रजि.) अल्लाह तआला हर रोज़ इफ्तार के वक्त लोगों को जहन्नम से ...